मेरा हिन्दी ब्लॉग

Monday, February 17, 2014

Friday, April 01, 2005

एक कहानी

यह एक छोटी कहानी जो मैने दो साल पहले लिखी।


भोजू का दिन

बड़े सवेरे भोजू की नींद खुली और चौंक गया। भोजू एक छोटा लड़का था। वह छ: साल का था। वह थोड़ा नटखट था अौर उसकी अांखें सर्वदा चमकती रहती थीं।

भौजू अपनी मां को चौक में देखकर उसकी तरफ भागा। उसने मां की साड़ी खींची। मां मुस्कराती फ़र्श झाड़ू से साफ़ कर रही थी। भोजू ने मां से कहा "आज मैं राजू के साथ खेलूँगा।"

"ठीक है बेटा। लेकिन पहले तुझे ऐक-दो रोटी खानी चाहिये।"

भोजू ने दो रोटियाँ लेकर अपना मुँह पूरा भरा और बाहर दौड़ा। उसका दोस्त राजू खेत के बग़ल में चल रहा था। भोजू अपने दोस्त को देखकर बड़ा खुश था। "हे राजू! मैं नदी में खेलना चाहता हूँ। कई मछलियों को पखरेंगे। चलो।"

राजू ने कहा--"लेकिन हम दोनों मछुआरे नहीं हैं। हमारे पास कोई मछली पकड़ने का डँडा नहीं हैं।"

भोजू ने एक क्षण इस के बारे में सोचकर कहा "कोई बात नहीं। हम भालू की तरह अपने हाथों से मचली पकड़ेंगे।

"अरे वाह!" राजू ने कहा। "हम भालू बनेंगे! चलो।"

दोनों छोटे लड़के नदी की ओर चल गए। नदी पहुँचकर वे किनारे पर बैठ गए। भोजू चाहता था कि वह एक बड़ी मछली पकड़े। अगर वह मछली पकड़ेगा तो उसका परिवार बड़ा भोजन कर सकेगा और उसकी माँ खुश होगी।

लेकिन मछली नहीं आई। लड़के दिन भर प्रतीक्षा करते रहे। वे पानी में चले लेकिन को मछली नहीं दिखी।

अँतत: दे बिना मछली पकड़े घर लौटे। जब भोजू अपने घर पर पहुँचा रसोईघर मे अच्छी गँध आ रही थी। माँ ने कहा "अरे भोजू, खाना खाओ!"

माँ बाज़ार गयी थी और उन्होंने मछली खरीदी। भोजू बहुत ख़ुश था और वह जल्दी से मछली खाने लगा। फिर उसने सोचा "लेकिन राजू को भी भूख लगती होगी।" उसने बाहर जाकर राजू को बूलाया। राजू आया और दोनों लड़कों ने बड़ा भोजन किया।

Thursday, March 31, 2005

पहला पोस्त

यह मेरा िहन्दी ब्लाग अौर यह मेरा पहला पोस्ट।